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कीशी,अपनेको खोकर हमं,मरते नहीं, बस,जिना सोड देते ह

कीशी,अपनेको खोकर हमं,मरते नहीं,
बस,जिना सोड देते है,,





ठाकुर भरत सिंह कवि रामदास गुर्जर
कीशी,अपनेको खोकर हमं,मरते नहीं,
बस,जिना सोड देते है,,





ठाकुर भरत सिंह कवि रामदास गुर्जर

कवि रामदास गुर्जर