मेरे अंदर ही मेरा दुश्मन है आखिर कैसे मै इससे लड़ू? किसे हराऊ,किसे जिताऊ? यह सोच-सोचकर घबराती जाऊ मन के अंदर बैठा है,एक मन जो हर वक्त है, निराशा फैलाता मेरे मन के उजाले को ये, अपने अंधकार से है ये मिटाता जाता हर दिन इससे लड़ती हूँ, अंत में हार भी जाती हूं पर आज भी मन के एक कोने में, एक उम्मीद का दीपक जलाती हु। #उम्मीद#nojoto कनक लता