मुझे तुझसे कोई जुदा नहीं कर सकता, मैं तो तुम्हारी साया बन कर रहती हूँ, तुम्हारी नस नस में लहू बन कर चलती हूँ, तुम्हारी धड़कन अब मेरे नाम के गीत गाने लगे,तुम्हारें बदन की खुशबु में मैं संगीत सी घुलने लगी हूँ,मैं कदम से कदम मिलाकर नहीं चलती तुम्हारे, मैं तो तुझमें आत्मा बन कर बस्ती हूँ, मैं तुम्हारी साया हूँ जो तुम्हारा हाँथ थामे तुम्हारे सँग चलती हूँ!! Challenge -41 #collabwithप्रेमलेखन #प्रेमलेखन #तेरा_साया_बनकर 👔- सभी लेखक अपनी रचना 72 शब्दों में लिखे । 👔- इस प्रतियोगिता में लाईनों की सीमा 6 हैं तो कृपया ध्यान देकर लिखे । 👔- इस प्रतियोगिता का विजेता कल सुबह 9 बजे टेस्टीमोनियल के माध्यम से घोषित किया जायेगा । 👔- सभी लेखक ज्यादा से ज्यादा कोलब करें । 👔- धन्यवाद ।।