हर गम को भुलाकर तुमने, आख़िर मुस्कुराना सीख लिया। ख़ुशी है मुझको हमदम तुमने, ख़ुशियाँ चुराना सीख लिया। मैंने देखा है तुम्हारी आँखों में, वो बहता अश्क़ का दरिया। ख़ुशी है मुझको हमदम तुमने, गम को भुलाना सीख लिया। उदासी तुम्हारे चेहरे पर, बिल्कुल भी जचती नहीं। मायूसी को भुलाकर तुमने, आख़िर चहचहाना सीख लिया। तकलीफें मिलती हैं लाख, पग-पग यहाँ इस दुनिया में। तकलीफों से निकलकर तुमने, आख़िर दिल बहलाना सीख लिया। ♥️ Challenge-735 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।