किसी के पास सैंकड़ों घर तू फुटपाथ पर पड़ा क्या तेरे पास घर नहीं या किसी ने हक़मारी किया? चंद लोगों के थालियों में सजी है हजारों सब्जियां फिर क्यों तोड़ रहे तुम सुखी रोटियां ?? क्या है अनाज का अभाव? या किसी ने कालाबाजारी किया ?? शाम की रोटी के खातिर बचपन को तुमने जला दिया टाइल्स के दाग मिटाते- मिटाते मिट चुकी तेरी भविष्य रेखा मालिक की कोठियों से हमउम्रों को स्कूल जाते पूछते हैं वो सिसक -सिसक जन्म लेना गरीब के घर क्या ये भी है दोष मेरा? पूछती है चीख - चीख जिस मजदूर बाप ने बनाई है सैंकड़ों कोठियां आज, मेरा बाप वो क्यों सड़क पर है पड़ा?? #गरीबी#मानवता