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ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते। सङ्गात् संज

ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।
सङ्गात् संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते।।

भावार्थ:- विषयों का चिन्तन करने वाले पुरुष की उन विषयों में आसक्त्ति हो जाती है, आसक्त्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है।।

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  क्रोध कैसे उत्पन्न होता है.....!#supersamvaad#geetagyan
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teachershailesh

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क्रोध कैसे उत्पन्न होता है.....!#supersamvaad#geetagyan #Thoughts

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