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उम्मीद की किरण दिल टुटना फिर जोड़ जाना, सहन की आद

उम्मीद की किरण दिल टुटना फिर जोड़ जाना, 
सहन की आदत सा हो गया। 
कभि कभि आपनौ के काम! 
बताने मे होठ बन्द हो जाती है,
दिल पे छुरी चल जाती है, 
घाओ इतनी हो तो है कि, 
मरहम पट्टी लगाने का 
कोई चारा ही नही रहता।
उम्मीद की किरण दिल टुटना फिर जोड़ जाना, 
सहन की आदत सा हो गया। 
कभि कभि आपनौ के काम! 
बताने मे होठ बन्द हो जाती है,
दिल पे छुरी चल जाती है, 
घाओ इतनी हो तो है कि, 
मरहम पट्टी लगाने का 
कोई चारा ही नही रहता।

दिल टुटना फिर जोड़ जाना, सहन की आदत सा हो गया। कभि कभि आपनौ के काम! बताने मे होठ बन्द हो जाती है, दिल पे छुरी चल जाती है, घाओ इतनी हो तो है कि, मरहम पट्टी लगाने का कोई चारा ही नही रहता।