नवम्बर महीने से हुई शादी के मौसम की शुरुआत भूल गये कोरोना है ले आये मेहमान एक सौ सात ना ही मुख पर मास्क है ना दो गज दूरी का ख्याल जैसे सबने मान लिया हो कि यही है आखिरी रात कैसे माने पढा लिखा है जो समझे ना यह हालात बस अपनी ही चला रहा हो माने ना एक भी बात संग में डीजे और बैंड बाजा है दुल्हे की फरियाद देखिये धूमधाम से निकल रही कोरोना की बारात सबसे आगे भाई बंधू है और पीछे बूढों की जमात बच्चे भी जमकर नाच रहे है दे कर सभी को मात महामारी के इस दौर में ये जान की बाजी खेल रहे और हम भी ये सब मान रहे है रखते हुये जज्बात पहले तो नही लेते थे पर अब उन्हें चाहिए जकात कैसे उन्हें बताये और कहाँ से हो पैसो की बरसात जैसे तैसे सब इंतजाम हुआ है अब बस है इंतजार जान पे खेल जान लेने आ रही कोरोना की बारात कोरोना की बारात