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जीवन मृत्यु का खेल हर दिन चलता हैं क़ोई खुद मर रहा

जीवन मृत्यु का खेल हर दिन चलता हैं
क़ोई खुद मर रहा हैं तो क़ोई मार रहा हैं
कही क़ोई मासूम बलि का बकरा बना हैं
तो क़ोई सच मे बकरा काट रहा हैं
पिजरे मे पंछी, जाल मे फसी मछली ये
क्या चल रहा हैं दिल सब के पास हैं इसलिए
सब जिन्दा हैं, खुद जिन्दा रहने के लिए
दूसरो को खा रहा पार्टी मना रहा, उस रात
बकरे को नींद नहीं आई क्यो कि उसे दूसरी
जगह ले जाया गया वो समझ गया क्यो कि
उससे पहले भी दूसरे बकरो को shift किया था
कितने दुख की बात हैं, जीवन खुद के बस का
नहीं किसी का भोजन हैं और कटने को तैयार हैं
और क़ोई विकल्प भी तो नहीं, आप के पास तो
option हैं ना,,, veg खाओ ना, ऐसे किसी को उसकी
मौत का इंतज़ार ना करवाओ, सोचो समझो, दूसरो का
दर्द जानो और दर्द बांटो बहुत अच्छा लगेगा
🙏🏻🙏🏻🙏🏻😓

©Puja Udeshi
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