अधूरी ख्वाहिश रचना नंबर 1 अधूरी रह गईं कुछ ख्वाहिशें थोड़े अधूरे रह गए हम वक्त बीत गया ना हम हुए पूरे ना हुईं पूरी हमारी ख्वाहिशें बहुत तकलीफ़ देती हैं ये अधूरे ख्वाहिशें अरमान टूट कर हमें खोखला कर गई कुछ ख्वाबों को करीब से टूटते देखा हमने नसीब समझ अपना कर लिया कबूल हमने ख्वाहिशें भी उम्मीद हैं ख्वाबों की तरह ये भी हमें देती हैं जीने को वजह — % & #गणतंत्रभारत #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #गणतंत्रदिवस2022 #kkdrpanchhisingh