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खैर वो भी खैरियत से होगी मुझे बर्बाद कर के,, ये दि

खैर वो भी खैरियत से होगी मुझे बर्बाद कर के,, ये दिल आज भी रो पड़ता है उसे याद कर के,, अंसारी तुझे बर्बाद कर के भला कैसे वो खुश रह सकती है बिन तुझे याद कर के,, मैं तो भूल चुका हू खुद को उसे याद कर के,, और वो वास्ता दे रही है अपनी मुहब्बत कि,,
कि कभी भी रोवगे नहीं तुम मुझे याद कर के,,, दिल रो parta हैं तुझे याद कर के,,
खैर वो भी खैरियत से होगी मुझे बर्बाद कर के,, ये दिल आज भी रो पड़ता है उसे याद कर के,, अंसारी तुझे बर्बाद कर के भला कैसे वो खुश रह सकती है बिन तुझे याद कर के,, मैं तो भूल चुका हू खुद को उसे याद कर के,, और वो वास्ता दे रही है अपनी मुहब्बत कि,,
कि कभी भी रोवगे नहीं तुम मुझे याद कर के,,, दिल रो parta हैं तुझे याद कर के,,