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"नादान" इंसान ही जिंदगी का 'आनंद' लेता है... ज्याद

"नादान" इंसान ही जिंदगी का
'आनंद' लेता है...
ज्यादा "होशियार" तो हमेशा
'उलझा' हुआ रहता है...!
"नादान" इंसान ही जिंदगी का
'आनंद' लेता है...
ज्यादा "होशियार" तो हमेशा
'उलझा' हुआ रहता है...!