"मज़दूर" वो मीलों सफ़र दर सफ़र कर रहे हैं, न मंज़िल न रहबर मगर कर रहे हैं! वो फ़ाक़ों पे फ़ाक़े थकन उनका बिस्तर, वो बोझल क़दम उनके राहों के पत्थर, उन्हें बस इधर से उधर कर रहे हैं वो जीने को कुछ मुख़्तसर कर रहे हैं। Read full poetry in caption... #yqaliem #mazdur #safar_dar_safar #thakan #ghareebi #coronalockdown वो मीलों सफ़र दर सफ़र कर रहे हैं, न मंज़िल न रहबर मगर कर रहे हैं! वो फ़ाक़ों पे फ़ाक़े थकन उनका बिस्तर वो बोझल क़दम उनके राहों के पत्थर,