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एक सन्नाटा है शोर का कई आवाज दबाई जा रही है अपनो स

एक सन्नाटा है शोर का
कई आवाज दबाई जा रही है
अपनो से अपनो की बात
छुपाई जा रही है
मरे हुए मै और आप है
फिर क्यों लाश की पहचान जात बताई जा रही है
तेरी ना ये जमीन है ना कोई मजहब तेरा
ना तू मुस्लिम ना हिंदू
यहा तो पैसों मे सबकी जात गिनाई जा रही है 


Viraj Quatos

©Artist Viraj Saxena my poetry #VirajQuatos #quatos #Poet 

#parent
एक सन्नाटा है शोर का
कई आवाज दबाई जा रही है
अपनो से अपनो की बात
छुपाई जा रही है
मरे हुए मै और आप है
फिर क्यों लाश की पहचान जात बताई जा रही है
तेरी ना ये जमीन है ना कोई मजहब तेरा
ना तू मुस्लिम ना हिंदू
यहा तो पैसों मे सबकी जात गिनाई जा रही है 


Viraj Quatos

©Artist Viraj Saxena my poetry #VirajQuatos #quatos #Poet 

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