मन तो बड़ा अशांत था ,पर शांत सी मै रह गई . बहला दिया फुसला दिया चिल्ला कर हमें दबा दिया .कुछ भी कहा कुछ भी किया लाचार सी बस रह गई, मन तो बड़ा अशांत था पर शांत सी मैं रह गई. ध्यान रखें कर्तव्य उसके ,अधिकार उसके भूल गए. मिली सांत्वना हर मोड़ पर, सम्मान से वंचित रही .जिस बाग को समझा जहां, थी फूल वह जिस डाल कि, अब पेड़ भी वह ना रहा, अवशेष तक अब रह गई, मन तो बड़ा अशांत था पर शांत सी मैं रह गई. ©Kashish अशांत मन #Isolated