आज की फ़िजा में मोहब्बत कि जगह अदावत ने ख़रीदली, इंसान ने इंसानियत की क़ीमत लगाकर मज़हबी नफ़रत ख़रीदली; सोने की चिड़िया के कुबेरख़ानों से कारोबारियो ने दौलत समेटली, बची जो दौलत थी सियासी ठेकेदारों ने जनता से छीन कर समेटली; जिस औरत कि कुर्बानियो से नस्लों की पैदाइश होते आई है आज उसकी ही ईज्ज़त सरे सामाज बेचदी, लालच और गुरूर का सहरा पहने जल्लादों ने अपनी रूह को बेज़मीर कर शर्म और इंसानियत बेचदी; दौलत लुटने वालों ने देशद्रोह कर हुकूमत की अदालत ख़रीदली, जनता-ए-मुल्क़ का भरोसा तोड़कर बेशर्मो ने बग़ावत ख़रीदली; सच्चाई और इंसाफ की परवाह तो आज चंद लोगों के ज़मीर में है, आज "शकुनि" ने हुकूमत में सबको "संजय" बनाकर बग़ावत शान-ओ-शिद्दत से ख़रीदली । आदित्य कुंवर #love #shayari #poetry #hindi #urdu #reality