शायर-ए-हस्ती है मेरी मैं सूकूँ-ए-करार दिल मे भर पाता हूँ। अंदाज जुदा सबसे रखकर गैहान मे तर पाता हूँ। किस्मत गवाह है मेरी मुझे जीने का हुनर आता है दर्द मे जीकर भी सादगी कर पाता हूँ। जमाने का खौफ बहुत इल्जाम काफी है 'मुकेश' बेख़ौफ़ होकर भी खुद मे डर पाता हूँ। ©Sin Mukesh Negi #Inspiration #longfrom