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जहां प्रेम से प्रेम का ही सृजन हो, जहां आत्मा आत्म

जहां प्रेम से प्रेम का ही सृजन हो,
जहां आत्मा आत्मा का मिलन हो,
जहां मौन गाये, जहां मौन बोले,
दिखे अनदिखे से सभी द्वार खोले,
चहकती हो बेला, महक आ रही हो,
निशा ओस में प्रेम बरसा रही हो,
वहीं प्रेम की राजधानी लिखेंगे,
प्रिय, प्रेम की एक कहानी लिखेंगे।

©Nitin Kumar Harit
  प्रिय प्रेम की एक कहानी लिखेंगे | नितिन कुमार हरित

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