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आज मैं घर से दूर हु मिल नही सकता अपनो से हाय !कितन

आज मैं घर से दूर हु
मिल नही सकता अपनो से
हाय !कितना मजबुर हू
नही है यहा आँगन घर का नही कोई मकान है
गूंज रही है आवाजे मानो जैसे कोई कब्रिस्तान है-2
विदा लि थी जब पत्नी से मैंने
भरकर आलिंगन मे गले से लगाया था
कहा लौटकर जल्दी आना ए-फौजी
मैरे दिन तो यादों मे ही बीत जाते है
जैसे सावन मे हरा हो पेड़
और पतजड़ मे पते गिर जाते है-2
गूंज उठी है किलकारीया आँगन मे
बच्चे पिता-जी पिता-जी कहकर बुलाते है
कुछ प्यार इन पर भी बरसा दे
ऐ देश की रक्षा करने वाले
ये तेरे बच्चे प्यार को तरस जाते है -2
ना भाईदुज है ना राखी का त्योहार है
हमे तो आते बस बहिनो के यही पैग़ाम है
सलाम है मैरे चाँद से भाई तुझको तु कितना महान है
तेरे ही कारण आज ये रोशन सारा हिन्दुस्तान है-2
निकला था जब मैं घर से
लगाया था मूझे माँ ने दिल से
मानो उसकी बाहों मे समाया ये सारा संसार है
गिर पड़ते है आंसू मैरे
क्योंकि मुझे आज भी वो बाहों का घेरा याद है-2
कितना प्यार था बापू को मुझसे
अपना हर सुख मुझ पर बलिदान किया
कहा था एक दिन बापू ने मुझसे
नही पता था बैटा मुझको
तु ऐसा बनकर के दिखलायेगा ले आयेगा कलेजा
फाड़कर छाति दुश्मन की अगर कोई
हिन्दुस्तान को आँख दिखायेगा-2
जय हिन्द जय भारत
कवि शक्ति सिंह चौहान
ठी. चैनपुरिया (मेवाड़)
7733880320 फ़ौजी की जिंदगी✍✍
आज मैं घर से दूर हु
मिल नही सकता अपनो से
हाय !कितना मजबुर हू
नही है यहा आँगन घर का नही कोई मकान है
गूंज रही है आवाजे मानो जैसे कोई कब्रिस्तान है-2
विदा लि थी जब पत्नी से मैंने
भरकर आलिंगन मे गले से लगाया था
कहा लौटकर जल्दी आना ए-फौजी
मैरे दिन तो यादों मे ही बीत जाते है
जैसे सावन मे हरा हो पेड़
और पतजड़ मे पते गिर जाते है-2
गूंज उठी है किलकारीया आँगन मे
बच्चे पिता-जी पिता-जी कहकर बुलाते है
कुछ प्यार इन पर भी बरसा दे
ऐ देश की रक्षा करने वाले
ये तेरे बच्चे प्यार को तरस जाते है -2
ना भाईदुज है ना राखी का त्योहार है
हमे तो आते बस बहिनो के यही पैग़ाम है
सलाम है मैरे चाँद से भाई तुझको तु कितना महान है
तेरे ही कारण आज ये रोशन सारा हिन्दुस्तान है-2
निकला था जब मैं घर से
लगाया था मूझे माँ ने दिल से
मानो उसकी बाहों मे समाया ये सारा संसार है
गिर पड़ते है आंसू मैरे
क्योंकि मुझे आज भी वो बाहों का घेरा याद है-2
कितना प्यार था बापू को मुझसे
अपना हर सुख मुझ पर बलिदान किया
कहा था एक दिन बापू ने मुझसे
नही पता था बैटा मुझको
तु ऐसा बनकर के दिखलायेगा ले आयेगा कलेजा
फाड़कर छाति दुश्मन की अगर कोई
हिन्दुस्तान को आँख दिखायेगा-2
जय हिन्द जय भारत
कवि शक्ति सिंह चौहान
ठी. चैनपुरिया (मेवाड़)
7733880320 फ़ौजी की जिंदगी✍✍