सुनो! अंधेरे की कालिमा संग तब वह साजिशी-स्याह-संगीन चेहरा! अपने धम्मक-मात्र से करता सुन्न, है धंसाता... खौफ़ के कोटरों में फैली तुम्हारी पुतलियाँ भीतर, और भीतर... कि प्रदीपित-प्रतिकार-अग्निज्वाला-मशाल निज आँखों तक घुसेड़, हो जाओ अंध तुम हो जाओ हलाल... @manas_pratyay ©river_of_thoughts #खौफ़