मेरे बाबुल तुम मेरे विधाता हाे, मेरा कन्यादान कर अपने लिये माेक्ष का दरवाजा खाेलते हाे। तुम मेरा दान स्वीकार कर मुझ पर उपकार करते हाे,फिर एक चुटकी सिंदूर दान कर मेरे परमेश्रवर बन जाते हाे। काैन हूं मैं,और क्या हूं मै............ वस्तू नहीं हम हैं इंसान , फिर क्याें हाेता हमारा कन्यादान ? मै अपने पारंम्परिक रित -रिवाजाें का सम्मान करती हूं ।पर कभी-कभी काेई बात खटक जाती है। #yqbaba#yqdada#yqdidi#yqhindi#yqlove#yqtable#yq#