मैं और तुम इक दिया और बाती हैं। इक दूजे के सुख-दुःख के साथी हैं। दोनों की नहीं अब कोई पीर पराई। हम दोनों इक दूजे के अनुपाती हैं। पल-पल, हर पल का साथ हमारा। अमर प्रेम की हम-तुम कोई पाती हैं। मुश्किल है इक दूजे बिन रह पाना। हम दोनों तो अब इतने जज़्बाती हैं। उस ख़ुदा ने हमको एक किया है। वो ख़ुदा भी इस बात का साक्षी है। मैं और तुम इक दिया और बाती हैं। इक दूजे के सुख-दुःख के साथी हैं। ♥️ Challenge-798 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।