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पूजा या इबादत कहूं तुझे बीच राह में छोड़ गई बेवफा

पूजा या इबादत कहूं तुझे
बीच राह में छोड़ गई 
बेवफा कहूं तुझे...

तू ऋतु की तरह आई
मोशम की तरह चली गई

तुझे पतजड़ 
या  सावन कहूं तुझे...

तूने वो दिया 
जो ओरो को नसीब नहीं होता

तुझे खुशी के दो पल कहूं
या बिता हुआ कल कहूं तुझे

संभाल के रखे हैं गुल्लक में वो पल
जो हमने साथ बिताए थे


बदल गया है वक्त तेरे जाने से
सोचता हूं कि टूटा हुआ सपना
कहूं तुझे...

                   ....मलिक साहब (कुमार) #क्या कहूं तुझे
पूजा या इबादत कहूं तुझे
बीच राह में छोड़ गई 
बेवफा कहूं तुझे...

तू ऋतु की तरह आई
मोशम की तरह चली गई

तुझे पतजड़ 
या  सावन कहूं तुझे...

तूने वो दिया 
जो ओरो को नसीब नहीं होता

तुझे खुशी के दो पल कहूं
या बिता हुआ कल कहूं तुझे

संभाल के रखे हैं गुल्लक में वो पल
जो हमने साथ बिताए थे


बदल गया है वक्त तेरे जाने से
सोचता हूं कि टूटा हुआ सपना
कहूं तुझे...

                   ....मलिक साहब (कुमार) #क्या कहूं तुझे