प्रकृति और परमात्मा दो घटकों से निर्मित सृष्टि एक क्षर तो दूसरा अक्षर मुट्ठी बन्द आये कुछ जोड़ने के लिए इसी क्रम में चलता जींवन होता है क्षरण धीरे धीरे आरम्भ से अंत के लिए प्रकृति छीन लेती है धीरे धीरे जो दिया उसने नव सृजन के लिए करती है अंत मिलाने अनंत के लिए कि समझ सके इंसान इस तथ्य को अंत ही आरम्भ है सब 'अपडेसन' के लिए । #NaPoWriMo में आज 30वाँ दिन है। इस श्रृंखला का अंतिम दिन है। #yqdidi #आरम्भ #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi