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प्यार लिखूं तो पिता लिख जाता है, व्यवहार लिखूं तो

प्यार लिखूं तो पिता लिख जाता है,
व्यवहार लिखूं तो पिता लिख जाता है,
बेशक करीबी बहुत है मेरे मगर,
हर पल का साथ लिखूं तो पिता लिख जाता है,

गुफ्तगू दरमियान हमारे कम होती मगर,
मुसीबत में होऊं तो पिता लिख जाता है,

डाटना , पीटना ये सब तरीके है मोहब्बत के,
नज़र भी कोई गैर उठाए तो पिता लिख जाता है,


उम्र गुजारी चंद जोड़े कपड़ों और जरूरतों में बस यूं ही,
अपनी छोटी सी जरूरत को भी देखूं पिता लिख जाता है,

वो अम्बर से विस्तृत, सागर से विशाल,
बादल की छिटकन सी बूंद भी देखूं पिता लिख जाता है,

वो पुरजोर मेहनत , बेहिसाब से पैसे सब मेरे लिए,
घर लौटते वक्त हाथ में बत्तू देखकर पिता लिख जाता है,

हर पल एक साया होता है मेरे कन्धे पर उनका,
निस्वार्थ प्रेम यदि सच कहूं तो पिता लिख जाता है........

.........@nand Raj
 #myfather,
#myhero,
प्यार लिखूं तो पिता लिख जाता है,
व्यवहार लिखूं तो पिता लिख जाता है,
बेशक करीबी बहुत है मेरे मगर,
हर पल का साथ लिखूं तो पिता लिख जाता है,

गुफ्तगू दरमियान हमारे कम होती मगर,
मुसीबत में होऊं तो पिता लिख जाता है,

डाटना , पीटना ये सब तरीके है मोहब्बत के,
नज़र भी कोई गैर उठाए तो पिता लिख जाता है,


उम्र गुजारी चंद जोड़े कपड़ों और जरूरतों में बस यूं ही,
अपनी छोटी सी जरूरत को भी देखूं पिता लिख जाता है,

वो अम्बर से विस्तृत, सागर से विशाल,
बादल की छिटकन सी बूंद भी देखूं पिता लिख जाता है,

वो पुरजोर मेहनत , बेहिसाब से पैसे सब मेरे लिए,
घर लौटते वक्त हाथ में बत्तू देखकर पिता लिख जाता है,

हर पल एक साया होता है मेरे कन्धे पर उनका,
निस्वार्थ प्रेम यदि सच कहूं तो पिता लिख जाता है........

.........@nand Raj
 #myfather,
#myhero,