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"हंसना मना है " आज फिर मेरी उनसे नज़र लड़ गई कु


 "हंसना मना है "
आज फिर मेरी उनसे नज़र लड़ गई 
कुछ उधर गड़ गई कुछ इधर गड़ गई 
ऐसा घायल हुआ क्या कहूं दोस्तों
हाथ धोकर तभी से मेरे पीछे पड़ गई 
आज फिर मेरी....
ये नज़र लड़ना तो एक आम बात है
कल वो सपने में फिर से मेरे अड़ गई
तब से मैं उस तरफ़ डर से जाता नहीं
पर ये कुछ कुछ जो होता है वो चढ़ गई 
आज फिर मेरी.....
बात है राज़ की कुछ मशवरा दीजिए 
दर्द अन्दर ही अन्दर बहुत  बढ़ गई
ये नज़र कलमुही देगी फसवां मुझे 
पहले भी कइयों संग में मेरी ठन गई 
आज फिर मेरी.....
बड़े अनुभवी पड़े इस नोजोटो पे हैं
केस सुलझाईये जान पे बन गई 
ये क्या चीज़ है जो मेरे संग हुआ
"सूर्य" जाऊं कहा वो गले पड़ गई 
आज फिर मेरी.....

©R K Mishra " सूर्य "
  #नज़र  M.K. kanaujiya Chetna Dubey Prince~"अल्फ़ाज़" shital sharma J. Chandravanshi

#नज़र M.K. kanaujiya Chetna Dubey Prince~"अल्फ़ाज़" @shital sharma @J. Chandravanshi #कविता

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