सब कुछ जानते हुए कमबख्त की तरह, रोज़ाना जाया हो रहे है वक्त की तरह। समय बदलने की आरजू भी, अब तंज सी लगती है, मौसमों को ही बदलता देखा है। मुकम्बल होकर भी तमन्नाएं ,कुछ ऐसे दिल तोड़ जाती है, बड़ी ही बेबसी से पूरी हुई किसी हसरत की तरह। उम्र के खंडहरों में देखो, आज भी गुजती है, बचपन की यादें सल्तनत की तरह। सब कुछ जानते हुए कमबख्त की तरह, रोज़ाना जाया हो रहे है वक्त की तरह।। Navi Verma. रोज़ाना....