ख़ुदा तू भी नहीं, मैं भी नहीं – हिंदी कविता गलतियों से जुदा तू भी नहीं और मैं भी नहीं, दोनों इंसान हैं खुदा तू भी नहीं, मैं भी नहीं। गलतफहमियों ने कर दी दोनों में पैदा दूरियां, वरना फितरत का बुरा तू भी नहीं मैं भी नहीं। अपने अपने रास्तों पे दोनो का सफ़र जारी रहा, एक लम्हें को रुका तु भी नहीं मैं भी नहीं । चाहते बहुत थे दोनों एक दूसरे को मगर ये हक़ीक़त मानता तु भी नहीं मैं भी नहीं। गलतियों से जुदा तू भी नहीं और मैं भी नहीं, दोनों इंसान हैं ख़ुदा तू भी नहीं, मैं भी नहीं। 😇❣️✍️ ©Jay mogal hindi poem