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एहतराम-ए-रिश्ता होना ही चाहिए! गुल-ए-बाग़ खिलना ही

एहतराम-ए-रिश्ता
होना ही चाहिए!
गुल-ए-बाग़
खिलना ही चाहिए!
चाँद-ए-आसमाँ
आसमाँ-ए-दीदार
होना ही चाहिए!
याद-ए-दिल्लगी
एहसास-ए-याद
होना ही चाहिए!
यह कोई सौदा नहीं
जो मोल भाव 
करके ही होना चाहिए!!

©Deepak Bisht #एहतराम-ए-रिश्ता
एहतराम-ए-रिश्ता
होना ही चाहिए!
गुल-ए-बाग़
खिलना ही चाहिए!
चाँद-ए-आसमाँ
आसमाँ-ए-दीदार
होना ही चाहिए!
याद-ए-दिल्लगी
एहसास-ए-याद
होना ही चाहिए!
यह कोई सौदा नहीं
जो मोल भाव 
करके ही होना चाहिए!!

©Deepak Bisht #एहतराम-ए-रिश्ता