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ज़िन्दगी के चंद पन्ने पलटने की कोशिश थी, कि गुज़रा

ज़िन्दगी के चंद पन्ने पलटने की कोशिश थी,
कि गुज़रा ज़माना सामने आ गया ।

अरसौं लगे जिस पल को भुलाने मे,
वो आप को फिर से दौहरा गया ।

तलब थी कि दिखे तिरी एक झलक,
नज़र आईने पर ठहरी,सामने तू आ गया ।

जहाँ अपना मिलना पाक न था,
मैं वो गली, वो शहर, छोडकर आ गया ।

किसी के लिए पागल, किसी के लिए दीवाना था,
बदनशीब तो तब हुआ,
जब अफ़वाहों का शाया भी बेबाक पीछे आ गया ।

जिस ज़माने की ख़ातिर बिखर गया मैं,
वही नादान बन रहम दिखाने आ गया ।

तिरे जाने का ज़ख्म ज़हन मे ऐसा था,
ज़िन्दगी तो थी मेरी, मैं जीना भुलाकर आ गया । Kishan Singh Tomar Kapil Tyagi aparna tomar
ज़िन्दगी के चंद पन्ने पलटने की कोशिश थी,
कि गुज़रा ज़माना सामने आ गया ।

अरसौं लगे जिस पल को भुलाने मे,
वो आप को फिर से दौहरा गया ।

तलब थी कि दिखे तिरी एक झलक,
नज़र आईने पर ठहरी,सामने तू आ गया ।

जहाँ अपना मिलना पाक न था,
मैं वो गली, वो शहर, छोडकर आ गया ।

किसी के लिए पागल, किसी के लिए दीवाना था,
बदनशीब तो तब हुआ,
जब अफ़वाहों का शाया भी बेबाक पीछे आ गया ।

जिस ज़माने की ख़ातिर बिखर गया मैं,
वही नादान बन रहम दिखाने आ गया ।

तिरे जाने का ज़ख्म ज़हन मे ऐसा था,
ज़िन्दगी तो थी मेरी, मैं जीना भुलाकर आ गया । Kishan Singh Tomar Kapil Tyagi aparna tomar
dhruvigoyal3911

dhruvi goyal

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