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कहीं आसमां से बरसता पानी तो,कहीं पर सूखी पड़ी जमीं

कहीं आसमां से बरसता पानी तो,कहीं पर सूखी पड़ी जमीं है,
कहीं लबालब भर चुके ताल तलैया तो,कही पानी की कमी है।
कहीं पर छाई घनघोर घटाएं तो कहीं पर आग बरसाता रवि है,
कहीं सुखो से खुश है नैना तो कहीं नैनो में दुखो की नमी है।
मौसम भी भेद करता है इसलिए मौसम को बेईमान कहते है,
मौसम की मार को कहीं न कहीं पर बारह महीने ही सहते है।
कहीं बरखा की न्यूनता सताती है तो कहीं अधिकता रुलाती है,
कहीं पर राहें रोक देती है तो कहीं नदी के धारे ही सूखा देती है।
जाने क्यों लगता है अब मानसून भी वक़्त का पाबंद नहीं रहा ,
हो गया बेईमां मौसम भी अब  कहीं मौसम,मौसम नहीं रहा।
JP lodhi  10/07/2021

©J P Lodhi. #rain
#wether 
#Nojotowriters
#Nojotonews
#Nojotofilms
#NojotoFamily 
#Nojototeam
#Poetry
कहीं आसमां से बरसता पानी तो,कहीं पर सूखी पड़ी जमीं है,
कहीं लबालब भर चुके ताल तलैया तो,कही पानी की कमी है।
कहीं पर छाई घनघोर घटाएं तो कहीं पर आग बरसाता रवि है,
कहीं सुखो से खुश है नैना तो कहीं नैनो में दुखो की नमी है।
मौसम भी भेद करता है इसलिए मौसम को बेईमान कहते है,
मौसम की मार को कहीं न कहीं पर बारह महीने ही सहते है।
कहीं बरखा की न्यूनता सताती है तो कहीं अधिकता रुलाती है,
कहीं पर राहें रोक देती है तो कहीं नदी के धारे ही सूखा देती है।
जाने क्यों लगता है अब मानसून भी वक़्त का पाबंद नहीं रहा ,
हो गया बेईमां मौसम भी अब  कहीं मौसम,मौसम नहीं रहा।
JP lodhi  10/07/2021

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jagdishprasadlod3535

J P Lodhi.

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