कोसता वो बाप उस पल को जब घर में जन्मी बेटी थी, बेटों सा उसपर गुमान, वो औलाद उनकी एक ही थी, परीक्षा दर्जनों की पास, फिर डिग्री बस लपेटी थी, थी वो अर्धनग्न अवस्था, जब लाश वो समेटी थी।। वो तो रातों को थी जागती, क्योंकि आंखो में जनून था, तन पर सफेद कोट देख उस बाप की आंखो में सकून था, अब खो गया वो देश मेरा जहां पर होता कभी रंगून था, दरिदंगी रुह को भी नोच गई , बह रहा आंखो से भी खून था।। जला ली मोमबत्तियां, जमा अब हरामखोरो की कौम है, शर्मसार अब इंसान, सही इंसान यहां पर कौन है! अंदर से खोखलें ये मर्द भी, नकली मर्दानगी की रौन है, दोषियों को काट दो या मार दो, सरकारें अब क्यों मौन है!! सरकारें अब क्यों मौन है!! . ©Rahul Lohat #Stoprape