Nojoto: Largest Storytelling Platform

त्रिभुजाकार कविता स्त्री मैं स्ञी हूं तो क्

त्रिभुजाकार कविता 

स्त्री

मैं
स्ञी हूं
तो क्या हुआ?
इस समस्त ब्रह्माण्ड की
रचयिता, सृष्टिकर्ता मैं ही तो हूं।
मेरे अस्तित्व से जुड़ा सबका अस्तित्व है,
मैं ही तो वंश की बेल को आगे बढ़ाने वाली हूं।
स्ञी हूं मैं तो क्या हुआ? मैं ही तो हर घर के आंगन में
उजियारा भरती हूं। बेटी, मां, बहन और पत्नी के हर रूप में मैं हूं।
मैं अपने सारे ही फर्ज निभाती हूं। स्ञी हूं मैं तो क्या हुआ ? परिवार का
स्वाभिमान और दो कुलों की मान मर्यादा हूं। पुरूषों से कम नहीं मैं स्वयं में ही 
 सर्वशक्तिशाली व अस्तित्व बनाने वाली हूं। स्त्री हूं मैं तो क्या हुआ? मैं भी धरती से
अंबर
    तक परचम लहरा सकती हूं खेत व खेल के मैदानों से सरहद व हिमालय तक नाम कर सकती हूं।

 रचना क्रमांक -4
स्त्री -16/10/2022
#जन्मदिनकोराकाग़ज़
#KKजन्मदिनमहाप्रतियोगिता
#KKजन्मदिन
#KKजन्मदिन_4
#KKHBD2022
#collabwithकोराकाग़ज़
त्रिभुजाकार कविता 

स्त्री

मैं
स्ञी हूं
तो क्या हुआ?
इस समस्त ब्रह्माण्ड की
रचयिता, सृष्टिकर्ता मैं ही तो हूं।
मेरे अस्तित्व से जुड़ा सबका अस्तित्व है,
मैं ही तो वंश की बेल को आगे बढ़ाने वाली हूं।
स्ञी हूं मैं तो क्या हुआ? मैं ही तो हर घर के आंगन में
उजियारा भरती हूं। बेटी, मां, बहन और पत्नी के हर रूप में मैं हूं।
मैं अपने सारे ही फर्ज निभाती हूं। स्ञी हूं मैं तो क्या हुआ ? परिवार का
स्वाभिमान और दो कुलों की मान मर्यादा हूं। पुरूषों से कम नहीं मैं स्वयं में ही 
 सर्वशक्तिशाली व अस्तित्व बनाने वाली हूं। स्त्री हूं मैं तो क्या हुआ? मैं भी धरती से
अंबर
    तक परचम लहरा सकती हूं खेत व खेल के मैदानों से सरहद व हिमालय तक नाम कर सकती हूं।

 रचना क्रमांक -4
स्त्री -16/10/2022
#जन्मदिनकोराकाग़ज़
#KKजन्मदिनमहाप्रतियोगिता
#KKजन्मदिन
#KKजन्मदिन_4
#KKHBD2022
#collabwithकोराकाग़ज़