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दुनिया एक मेला है इसमें हर एक शक्स अनजाना है।। दर्

दुनिया एक मेला है इसमें हर एक शक्स अनजाना है।।
दर्द ही तो है इस दिल में, किसने किसका दर्द पहचाना है।।

यहां वो हरएक शक्स अकेला है, जिसने लगाया ये साजिश का मेला है।।
लोग समझते है इंसान को पुतला कतपुटली का, खेल है ये जिंदगी सबने जम के खेला है।।

कहने को तो मै तेरा हूं और तू मेरा है,
जब निकल जाए मतलब मेरा तो, तू बस एक अंधेरा है।।

पग पग रांहो पर राहगीर स्वार्थ देखकर रास्ता बदलते है।।
जो कहते है हम तुम्हारे अपने है, अक्सर वहीं दगा अपनों से करते है।।

ये खेल है एक पल का कल का तुझे पता नहीं।।
मालूम है अंजाम तुझे भी अपने कर्मो से कोई बचा नहीं।।

मिटी की मूरत है मिटी में ही मिल जानी है।।
खेल गालिब तू भी इसे मज़े से ये दो पल की कहानी है।।
दुनिया एक मेला है इसमें हर एक शक्स अनजाना है।।
दर्द ही तो है इस दिल में, किसने किसका दर्द पहचाना है।।

यहां वो हरएक शक्स अकेला है, जिसने लगाया ये साजिश का मेला है।।
लोग समझते है इंसान को पुतला कतपुटली का, खेल है ये जिंदगी सबने जम के खेला है।।

कहने को तो मै तेरा हूं और तू मेरा है,
जब निकल जाए मतलब मेरा तो, तू बस एक अंधेरा है।।

पग पग रांहो पर राहगीर स्वार्थ देखकर रास्ता बदलते है।।
जो कहते है हम तुम्हारे अपने है, अक्सर वहीं दगा अपनों से करते है।।

ये खेल है एक पल का कल का तुझे पता नहीं।।
मालूम है अंजाम तुझे भी अपने कर्मो से कोई बचा नहीं।।

मिटी की मूरत है मिटी में ही मिल जानी है।।
खेल गालिब तू भी इसे मज़े से ये दो पल की कहानी है।।