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मुद्दतो की खुशियाँ इकट्ठी दे गयी वो आ कर कब्र प

मुद्दतो  की  खुशियाँ  इकट्ठी दे गयी
वो आ कर कब्र पे मेरे मिट्टी दे गयी

बातें छिपी थी जो हमारे दरम्यां 
सारे पर्दो को हवा चिट्टी दे गयी

हो सब के सब एक जैसे बड़े दिल फ़ेक
कह के बातें ओ इतनी ही कट्टी दे गयी 

कुछ लम्हें गुजारे सफ़र जिन्दगी में
पर यादे  बड़ी  खट्टी-मिठ्ठी दे गयी

एक और एक और अभी खाया ही क्या "वरुण"
कह  के  माँ  अपने  हिस्से   की  बट्टी  दे   गयी

       © वरुण " विमला " " ग़ज़ल "
 Thanveer Dahiya (RoYaL) Bijendra Kumar Pramod Kumar Shruti Jaiswal Sambhav jain(महफूज़_जनाब)
मुद्दतो  की  खुशियाँ  इकट्ठी दे गयी
वो आ कर कब्र पे मेरे मिट्टी दे गयी

बातें छिपी थी जो हमारे दरम्यां 
सारे पर्दो को हवा चिट्टी दे गयी

हो सब के सब एक जैसे बड़े दिल फ़ेक
कह के बातें ओ इतनी ही कट्टी दे गयी 

कुछ लम्हें गुजारे सफ़र जिन्दगी में
पर यादे  बड़ी  खट्टी-मिठ्ठी दे गयी

एक और एक और अभी खाया ही क्या "वरुण"
कह  के  माँ  अपने  हिस्से   की  बट्टी  दे   गयी

       © वरुण " विमला " " ग़ज़ल "
 Thanveer Dahiya (RoYaL) Bijendra Kumar Pramod Kumar Shruti Jaiswal Sambhav jain(महफूज़_जनाब)