विषय :- प्रेम - एक तपस्या (05-10-2021) ************************************ प्रेम एक तपस्या है, हर किसी के बस की बात नहीं। प्रेम से बढ़कर दुनिया में, हँसी कोई जज्बात नहीं। प्रेम आस है, प्रेम प्यास है, प्रेम है ईश्वर की आराधना। प्रेम है सार्थक भक्ति मार्ग, ऐसा कोई अहसास नहीं। प्रेम सुकूँ है, प्रेम जुनूँ है, प्रेम है बाँटने की भावना। प्रेम में कोई न अपना पराया, इसमें कोई स्वार्थ नहीं। प्रेम अगन है, प्रेम तपन है, प्रेम में सब पड़ता है सहना। प्रेम की आँच में तपना, हर किसी के बस की बात नहीं। प्रेम है गागर, प्रेम है सागर, प्रेम में पड़ता है डूबना। प्रेम के सागर में गोते लगाना, मुश्किल हालात नहीं। विषय :- प्रेम - एक तपस्या (05-10-2021) प्रेम एक तपस्या है, हर किसी के बस की बात नहीं। प्रेम से बढ़कर दुनिया में, हँसी कोई जज्बात नहीं। प्रेम आस है, प्रेम प्यास है, प्रेम है ईश्वर की आराधना। प्रेम है सार्थक भक्ति मार्ग, ऐसा कोई अहसास नहीं।