ये वो जगह है जहाँ, "मैं"
"मैं" होती हूँ। बस "मैं"!
यही एक रास्ता है खुद को पाने का
खुद को ढूंढ लेने, खुद में खो जाने का।
मिट चुके अस्तित्व को तलाशने का।
तन्हाइयों में खुद में झाँकने का।
खुद से भर भर शिकायतें करने का
रवायतों को ढोने का मलाल रहने का
अपना जीवन तराशने का
सब कुछ खुद से बांटने का।
खुद पर स्नेह लुटाने का
मन का सब कुछ पा जाने का
ऊंचा उड़ने का अहसास जीने का
शब्दों के पैबंद लगा उन्हें सीने का
जो न पाया उसका शोक जताने का
जो मिल गया उसकी खुशी मनाने का।
बस यही एक तरीका है बिखरी जिंदगी
अब फिर से बनाने का।
स्वरचित मौलिक
@divyajoshi
#कविता