मुझें घर दफ्तर और सर-ए-बज़्मो में ना ढूढ़ना, हम तो ख

मुझें घर दफ्तर और सर-ए-बज़्मो में ना ढूढ़ना,
हम तो खोए खोए  ख़ुद के किरदार में मिलेंगे।

मुझें ख़िरद, समझ  और तहज़ीब में  ना ढूढ़ना,
हम तो हमेशा अपने क़ुर्ब-ए-दिलदार में मिलेंगे।

मुझें जातधर्म और हिंदू मुसलमान में ना ढूंढना,
हम हमेशा लखनवीं इक़रार-इज़हार में मिलेंगे।

मुझें रिश्तें नाते अपने और'अंजान' में ना ढूंढना,
हम तो हमेशा इंसानियत दोस्ती प्यार में मिलेंगे। (सर-ए-बज़्मो - महफ़िलों में)
(क़ुर्ब-ए-दिलदार - अपने प्रियजनों के आसपास)
#कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #सर_ए_बज़्मो
#yourquotedidi #yourquote #yourquotebaba #उर्दू_की_पाठशाला #ग़ज़ल_ए_अंजान
मुझें घर दफ्तर और सर-ए-बज़्मो में ना ढूढ़ना,
हम तो खोए खोए  ख़ुद के किरदार में मिलेंगे।

मुझें ख़िरद, समझ  और तहज़ीब में  ना ढूढ़ना,
हम तो हमेशा अपने क़ुर्ब-ए-दिलदार में मिलेंगे।

मुझें जातधर्म और हिंदू मुसलमान में ना ढूंढना,
हम हमेशा लखनवीं इक़रार-इज़हार में मिलेंगे।

मुझें रिश्तें नाते अपने और'अंजान' में ना ढूंढना,
हम तो हमेशा इंसानियत दोस्ती प्यार में मिलेंगे। (सर-ए-बज़्मो - महफ़िलों में)
(क़ुर्ब-ए-दिलदार - अपने प्रियजनों के आसपास)
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