मौजूद होते अगर तुम यहां पर ये जुदाई फ़िर अपना वजूद ढूंढती। हदों में जो रहता वो लड़का अगर, तो कैसे वो लड़की कसूर ढूंढती। है ये भी मोहब्बत की ही निशानी , चाँद को चाँद की गुलामी कराती। फितूर जब भी चढता इस दुनिया पे, बेफ़िक्र इश्क का वो फितूर ढूंढती । विकास शर्मा "विचित्र" ✍️ #विचित्र_ख़्याल...