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सुबह के छ: बजे थे और में गहरी नींद में थी एका एक उ

 सुबह के छ: बजे थे और में गहरी नींद में थी एका एक उसके हाथों का स्पर्श मेरी आंखों को छुपाए हुए वो मधम स्वर में कानों में कुछ कहते हुए ( उठों आज सुबह की सैर पर चले) ओर मैं चिड़चिड़ाते हुए फिर सो गई उन्होंने फिर मुझे उठाते हुए प्यारी सी मुस्कान लिए कहा देखो ना मौसम बहुत अच्छा है, उसकी मुस्कान को नजरंदाज क कैसे करती, मै तैयार हो गई हम सैर पर गए पानी की हल्की हल्की फुहारे मनमोहक थी
हम कहीं दुर निकल गए चलते चलते ओर उनके कदम चाय की टपरी पर आ रुके ( चाय वाले से कहते एक कप चाय में अपने हाथों से बनाऊं चाय
 सुबह के छ: बजे थे और में गहरी नींद में थी एका एक उसके हाथों का स्पर्श मेरी आंखों को छुपाए हुए वो मधम स्वर में कानों में कुछ कहते हुए ( उठों आज सुबह की सैर पर चले) ओर मैं चिड़चिड़ाते हुए फिर सो गई उन्होंने फिर मुझे उठाते हुए प्यारी सी मुस्कान लिए कहा देखो ना मौसम बहुत अच्छा है, उसकी मुस्कान को नजरंदाज क कैसे करती, मै तैयार हो गई हम सैर पर गए पानी की हल्की हल्की फुहारे मनमोहक थी
हम कहीं दुर निकल गए चलते चलते ओर उनके कदम चाय की टपरी पर आ रुके ( चाय वाले से कहते एक कप चाय में अपने हाथों से बनाऊं चाय
shikhadubey8430

Shikha Dubey

New Creator

सुबह के छ: बजे थे और में गहरी नींद में थी एका एक उसके हाथों का स्पर्श मेरी आंखों को छुपाए हुए वो मधम स्वर में कानों में कुछ कहते हुए ( उठों आज सुबह की सैर पर चले) ओर मैं चिड़चिड़ाते हुए फिर सो गई उन्होंने फिर मुझे उठाते हुए प्यारी सी मुस्कान लिए कहा देखो ना मौसम बहुत अच्छा है, उसकी मुस्कान को नजरंदाज क कैसे करती, मै तैयार हो गई हम सैर पर गए पानी की हल्की हल्की फुहारे मनमोहक थी हम कहीं दुर निकल गए चलते चलते ओर उनके कदम चाय की टपरी पर आ रुके ( चाय वाले से कहते एक कप चाय में अपने हाथों से बनाऊं चाय