जीवन तो है एक सफ़र, यहाँ परेशानियों का डर है। सब कुछ वो ईश्वर ठीक करेगा, ये उम्मीद तो मगर है। राह-ए-सफ़र है मुश्किल डगर, पार इसे कर लेंगे हम। खुद पे है विश्वास हमें, माँ की दुआओं का भी असर है। चलते-चलते जब अंधेरा मिलता, अंधकार हमें है डराता। डरना नहीं, है निरंतर चलना, आगे उम्मीद की सहर है। मुश्किल है पर पा जाएंगे, इक दिन हम अपनी मंज़िल। मंज़िल पे ही, जीवन की अपनी, एक खूबसूरत बसर है। जो चाहोगे वो मिल जाएगा, यहाँ उम्मीदों की लहर है। रुकना नहीं है, थमना नहीं है, यही एक राह-ए-गुजर है। जीवन तो है एक सफ़र, यहाँ परेशानियों का डर है। सब कुछ वो ईश्वर ठीक करेगा, ये उम्मीद तो मगर है। ♥️ Challenge-570 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।