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दंगे कोई भी मुझे आदमी मान कर छोंड देने को तैयार न

दंगे 
कोई भी मुझे आदमी मान कर छोंड देने को तैयार ना था |
इतना खून का प्यासा तो ड्रैकुला भी कभी मेरे
  यार न था ||
वो पूंछ रहा था के तू चंदन धारी है,या के टोपी वाला है |
न मैं चंदन न टोपी वाला हूँ, मैं तो रोटी और लंगोटी वाला हूँ |
मैं बोला इसाई हू, 
तो उसके अंदर 1857 का जोश हिलोरें मारने लगा |
और बंदा पूरी सिद्दत से फिर मारने लगा ||
बोला हमें पैसे सिर फोडने के मिले हैं, 
तुम्हें एकता के सूत्र में जोडने के नहीं |
किसी भी मजहब का हो तू हमारा क्या लगता है |
हम बेरोजगारों को जो पैसा दे उसीके तरफ से बजेगा ||
गुनाह हमारा है तो डंडे तो खाने ही पडेंगे |
वर्ना इन बेरोजगारों को रोजगार दिलाने ही पडेंगे || #दंगे
दंगे 
कोई भी मुझे आदमी मान कर छोंड देने को तैयार ना था |
इतना खून का प्यासा तो ड्रैकुला भी कभी मेरे
  यार न था ||
वो पूंछ रहा था के तू चंदन धारी है,या के टोपी वाला है |
न मैं चंदन न टोपी वाला हूँ, मैं तो रोटी और लंगोटी वाला हूँ |
मैं बोला इसाई हू, 
तो उसके अंदर 1857 का जोश हिलोरें मारने लगा |
और बंदा पूरी सिद्दत से फिर मारने लगा ||
बोला हमें पैसे सिर फोडने के मिले हैं, 
तुम्हें एकता के सूत्र में जोडने के नहीं |
किसी भी मजहब का हो तू हमारा क्या लगता है |
हम बेरोजगारों को जो पैसा दे उसीके तरफ से बजेगा ||
गुनाह हमारा है तो डंडे तो खाने ही पडेंगे |
वर्ना इन बेरोजगारों को रोजगार दिलाने ही पडेंगे || #दंगे