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ख्वाब गुमराह करते है चाहत को मेरी सोचूं जिसे हर पह

ख्वाब गुमराह करते है चाहत को मेरी
सोचूं जिसे हर पहर वो सपनो में भी न होती मेरी
चाहूं कभी नकार दूं ये हकीकत भी मैं मेरी
पर ख्वाबों में भी यूंही जारी रहती है ये बेरुखी तेरी
कभी तो लगता है के हैसियत ही नहीं तुम्हे पाने की मेरी
तो वो सपने बस एक उम्मीद है तुम्हे चाहने की मेरी
पर सपनो पे भी जैसे कोई हुकूमत है तेरी
जो ये मेरे होके भी बस में नही मेरी

©Rajender
  #Dreamsandyou