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सिने में उसके दिल नहीं ना ही कोई दिमाग रखता है l

सिने में उसके दिल नहीं 
ना ही कोई दिमाग रखता है l
पर साँसे उसकी भी चलती है l
रागों में खून उसके भी दौड़ता है l
रूप भी मौसम के हिसाब से बदलता है 
कभी नए नए पत्ते तो कभी पतझड़ से लड़ता हैं l
ये वृक्ष 
जहां जन्म लेता है वहीं मरता  है l
पर बदलता नहीं
  अपना कर्म l
 अपना धर्मl
अपनी छाँव l
अपना फल l


o

©Roshani Thakur वृक्ष
सिने में उसके दिल नहीं 
ना ही कोई दिमाग रखता है l
पर साँसे उसकी भी चलती है l
रागों में खून उसके भी दौड़ता है l
रूप भी मौसम के हिसाब से बदलता है 
कभी नए नए पत्ते तो कभी पतझड़ से लड़ता हैं l
ये वृक्ष 
जहां जन्म लेता है वहीं मरता  है l
पर बदलता नहीं
  अपना कर्म l
 अपना धर्मl
अपनी छाँव l
अपना फल l


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©Roshani Thakur वृक्ष