'कब से बैठी हूं दहलीज पर, 'पल पल देखूं तेरा रास्ता, 'जाने कितनी समेटी है बातें, 'कितनी सुनानी है तुम्हें दास्तां,, 'खोई रहूं मैं तुम्हारे ख्यालों में, 'तुम आ जाओ चुपके से, 'पीछे से आंखें बंद करके, 'कानों में मेरे पुकारो, "आहिस्ता आहिस्ता" 'मुझे चौका के शरारते बेशुमार करते, 'कभी मुझे है हैरां करके, 'मजाकिया अंदाज, 'में परेशान करते, 'माफ़ी भी खुद ही मांग के, 'मुझको तुम शांत करते, 'कब से बैठी हूं दहलीज पर, 'पल पल देखूं तेरा रास्ता, 'जाने कितनी समेटी है बातें, 'कितनी सुनानी है तुम्हें दास्तां,, 'खोई रहूं मैं तुम्हारे ख्यालों में, 'तुम आ जाओ चुपके से, 'पीछे से आंखें बंद करके, 'कानों में मेरे पुकारो,