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याद है तुमको, वो सवेर की पहली किरण से आँख खुलते ही

याद है तुमको,
वो सवेर की पहली किरण से आँख खुलते ही 
तुम्हे देख रोशन होता था मैं,

उस चमकती रौशनी में जब आँखे चौंधियां जाती थी, 
तब तुम अपनी ज़ुल्फ़ों से साया कर मुझे खुदको 
करीब से देखने देती थी, और तिरछी नज़रों से 
नापती थी फासला मेरे तुम्हारे दरमियां।

और जब लपक के मैं चादर की आड़ में छिप जाता,
कि तुम्हारी आँखों में देख बहक न जाऊँ, पर तुम 
मेरे सिरहाने बैठ मेरे बालों में अपनी मौजूदगी का 
स्पर्श देती थी।

हाँ! बस वही रौशनी अब कहीं खो गई है,
अब सवेर तो होती है मगर रौशन  नहीं। याद है तुमको🖤
याद है तुमको,
वो सवेर की पहली किरण से आँख खुलते ही 
तुम्हे देख रोशन होता था मैं,

उस चमकती रौशनी में जब आँखे चौंधियां जाती थी, 
तब तुम अपनी ज़ुल्फ़ों से साया कर मुझे खुदको 
करीब से देखने देती थी, और तिरछी नज़रों से 
नापती थी फासला मेरे तुम्हारे दरमियां।

और जब लपक के मैं चादर की आड़ में छिप जाता,
कि तुम्हारी आँखों में देख बहक न जाऊँ, पर तुम 
मेरे सिरहाने बैठ मेरे बालों में अपनी मौजूदगी का 
स्पर्श देती थी।

हाँ! बस वही रौशनी अब कहीं खो गई है,
अब सवेर तो होती है मगर रौशन  नहीं। याद है तुमको🖤

याद है तुमको🖤