गमों की धूप से ताज़ा गुलाब ज़ल रहे थे । कहां थे आप?जब आंखों के खुआब ज़ल रहे थे । तिरी आंखों ने सवाल कर ही लिए । वरना ज़ेहन में कब से जवाब ज़ल रहे थे । # syed ahmad poetry# ©Azeem Khan #syed अहमद poetry#