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याद है, होस्टलसे पढाई खत्म कर जब तुम घर आई थी। सभी

याद है,
होस्टलसे पढाई खत्म कर जब तुम घर आई थी।
सभी रिश्तेदारोंने तोहफेंमे,कई सारी चीजें लाई थी।
उस महफिल का न्योता घर मेरे भी आया था
समझ न आया तो मै कुछ भी न लाया था।
शर्मिंदा होके मै रानोंमे चला गया,
वही कुछ जंगली फुलोंसे,इक गुलदस्ता बनाया।
हिम्मत न हुई दुसरोंके महंगे नजराने देखकर,
हसी न बन जाऊ,अजीबसा तोहफा देकर।
वो गुलदस्ता आँगनके कोनेमे,रख छोडा था,
कई दिन-महीने वो,बारिश धूपमे वही पडा था।
फिर कई दिनों तक मै तुझसे मिल न सका,
तेरे घर के रास्ते जाने अनजाने आ न सका।
तेरी-मेरी अनबनसे अपना रिश्ता खत्म हुआ,
पर वही वो गुलदस्ता खत्म हो,पौधेका आगाज हुआ।
अब तेरा शहर छोडके कुछ रोजीको चलू,
आखरी बार तुझे देखू,तुझे मिलके चलू।
वही वो पौधा खिल चुका है,फूलोंसे लद चुका है
नजरोंमे भरता है,दिलमे जगह पा चुका है।
तेरे दिलसे मेरा इश्क उतर गया हो शायद,
मेरी मोहोब्बत फना होकर उसमे समाँ गई शायद।
कोई नही के मै दिलको बहला लूंगा,
कुछही दिनोंमे हम दोनो रास्ते लग जाएंगे,
बस एक जहीन वादा चाहु तुमसे,
उस पौधे का ख्याल रखो,देखभाल रखो,
दिलोंका क्या दिल संभल जाएंगे,मगर
जरासी लापरवाहीसे वो फुल मुर्झा जाएंगे,
वो फुल फिर कभी न खिलेंगे,एक बार जो मुर्झा जाएंगे
Ct.JackOcean

©Jack Sparrow
  #फुल मुरझा जाएंगे
jacksparrow6877

Jack Sparrow

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#फुल मुरझा जाएंगे #कविता

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