उलझा रही है मुझको ये कशमकश दिल की उस ओर वो खड़ी है इस ओर मैं खड़ा हूं ज़िंदगी भर के इम्तिहानों का यही नतीजा निकला दिल उसी राह पे चल रहा है जिस पर मैं चल चुका हूं इश्क़ किया था मैंने यक़ीन नहीं होता वही जुर्म फिर किया है जिसे मैं कर चुका हूं कहीं फिर फिसल न जाऊं तेरे शहर में चलते-चलते अपनी यादों को तुम रोको पहले भी फिसल चुका हूं. .. ©trehan abhishek #manawoawaratha #hindipoetry #hindishayari #yqdidi #yqaestheticthoughts #yqresrzone #darkpoetry