ज़िंदगी से ना यूँ नाराज रहो... हर एहसास का नाम है ये ज़िंदगी.. ! मोहब्बत सबको नसीब नहीं हुई... मगर महसूस कराई है ये ज़िंदगी..! शायरों की किताबों में झांक कर देखो... कैसी खिदमत पाई है ये ज़िंदगी..! लिखी है हर कलम ने मोहब्बत को... मोहब्बत की ऐसी रही है ये ज़िंदगी..! कौन संवर गया, कौन बिखर गया... किस किसको हिसाब देगी ये ज़िंदगी..! ये पल यूँ ही ना गँवा दे तू आज... हर एक पल में मौजूद है ये ज़िंदगी..! ©Jayashree Mishra(R) #CityWinter